Content Protected

आखिर क्यों करते थे क्षत्रिय एक से अधिक शादी? जाने राजपूतो के बहुविवाह की सच्चाई और विवाह के प्रकार…

Share To

Facebook
Twitter
WhatsApp
क्षत्रियों के एक से अधिक विवाह का ये है कारण Post

April 1, 2022

आज आप क्षत्रियो के बहुविवाह और उनके कारण तथा विवाह के प्रकारों को जानेंगे

क्षत्रियों (राजपूतो) में बहुविवाह

प्राचीन काल से ही क्षत्रियों में एक से अधिक विवाह का वर्णन सुनने को मिलता हैं परन्तु इसका मुख्य कारण क्या था इसपर हम चर्चा करेंगे और जानेंगे । प्राचीन काल से क्षत्रियों में बहुविवाह (एक से अधिक विवाह) के बारे में बताया गया हैं परन्तु महाभारत काल के बाद से क्षत्रियो (राजपूतों) में बहुविवाह प्रथा का प्रचलन हो चला था और मध्यकाल तक आते-आते तो  यह प्रथा अत्यधिक जोर पकड़ लेती  है, और एक राजा के यहाँ दस-बारह रानियाँ तक हुआ करती थीं । इस प्रथा को देखकर कई इतिहासकारों ने कई प्रकार के गलत अनुमान लगा लिए हैं।

उनका विचार है कि क्षत्रिय (राजपूत) अत्यन्त ही भोगासक्त और कामुक होते थे और इसीलिए वे कई-कई रानियाँ रखते थे। उनका विचार आज के युग में तो सही है, किन्तु तकों के सामने यह आलोचना नहीं टिकती, क्योंकि प्रथम तो उस युग में आज जितनी जनसंख्या नहीं थी जैसा कि आज के युग में जनसंख्या देश के में लिए एक विकट समस्या बनी हुई है ।

दूसरा वह युग इस युग से बिल्कुल विपरीत था। आज हम हर प्रकार से स्वतंत्र, समृद्ध तथा सुरक्षित हैं , किन्तु उस युग में राजा रात-दिन युद्धों में रत रहते थे। अपना देश और धर्म रात-दिन खतरे में रहता था। क्षत्रियों (राजपूतों) के सिवाय अन्य कोई भी जाति सेना में भर्ती नहीं होती थी । अत: सेना की संख्या पूरी करने के लिए संतान अधिक उत्पन्न करने के लिए ही राजपूत कई-कई विवाह करते थे।

अपने रक्त पर जितना उनका विश्वास था उतना किसी दूसरे पर नहीं था । अत: स्पष्ट है कि भोग विलासों की तृप्ति के लिए नहीं, बल्कि देश रक्षा की भावना से ही राजपूतों में बहु-विवाह प्रथा प्रचलित थी।

यह भी पढ़ें >>विदेश में भी राजपूत संस्कृति को बढ़ावा देने वाली क्षत्राणी के बारे में पढिये >>

साथ ही हमे एक बिंदु पर और विचार करना चाहिए कि अगर कोई राजा किसी विवाह के रिश्ते को ठुकरा देता था तो वधु पक्ष उन्हें अपना शत्रु समझ लेता था , इतिहास में इसके भी कई उदाहरण मिलते हैं । अब पहले से ही शत्रुओ से सतत युद्ध चलते कोई भी राजा बेवजह शत्रु बनाना नही चाहेगा । वही वधु पक्ष अपने रिश्ते को ठुकराने को अपना अपमान समझकर उस राज्य को अपना शत्रु तक मान लेता था ।

यह भी एक कारण रहा क्षत्रियों के बहुविवाह का जो कि इतिहास की घटनाओ में हमे प्राप्त होता हैं । आज हम आज की दृष्टि से इतिहास को देखते है जो की बिल्कुल गलत हैं आप दूर न जाइए आजसे 3 वर्ष के पूर्व और आजके जीवन को देखिये किस प्रकार एक महामारी ने हमारे जीवन ही नही बल्कि मन को आघात किया हुआ था । समय हर समय अलग होता है ।

इसलिए हम उस समय के अनुसार इतिहास को समझने की कोशिश करना चाहिए , लिखना और बोलना आसान होता है पर जब वही परिस्थिति हमारे समक्ष आती हैं तब हमारी सामर्थ्य और सोच का सही सही उत्तर मिलता हैं । इसलिए हमेशा विवेकपूर्ण और विश्लेषण के नजरिये से इतिहास को देखें ।

विवाह के प्रकार और उनकी संक्षिप्त जानकारी-

मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति और महाभारत में आठ प्रकार के विवाहों का वर्णन आया है:-

ब्राहेण दैवस्तयेवार्षः प्रजापत्यस्तथासुर ।

गान्धर्वोराक्षसश्चैव पेशाचश्चाष्टमोधमः ।।

–मनुस्मृति 3/31

याज्ञवल्क्यस्मृति 1/58-61

 

1. ब्राह्म विवाह– ब्राह्मण की प्रेरणा से किये जाने वाला विवाह ब्रह्म विवाह कहलाता हैं ।

2. दैव विवाह– दैवी घटना से होने वाला विवाह दैव विवाह कहलाता हैं ।

3. आर्ष विवाह– ऋषि की आज्ञा से विवाह आर्ष विवाह कहलाता हैं ।

4. प्रजापत्य विवाह– प्रजा की उत्पत्ति के उद्देश्य से किये जाने वाला विवाह प्रजापत्य विवाह कहलाता हैं ।

5. गान्धर्व विवाह– माता-पिता की आज्ञा के बिना छिपकर किया गया विवाह गन्धर्व (गान्धर्व) विवाह कहलाता हैं ।

6. आसुर विवाह-कन्या पक्ष को धन देकर किया गया विवाह आसुर विवाह कहलाता हैं ।

7. राक्षस विवाह-कन्या का बलात् अपहरण करके किया गया विवाह राक्षस विवाह कहलाता हैं ।

8. पिशाच विवाह-सुप्त एवं प्रमत्त युवती के साथ एकांत में किया गया

विवाह पिशाच विवाह कहलाता हैं ।

इनमें प्रथम चार प्रकार के विवाह ही शुद्ध एवं सुसंस्कृत माने गये हैं।

———

हमारे द्वारा दी गयी जानकारी को Share जरुर करें और कमेंट करें

अगर आपके पास भी क्षत्रिय सम्बंधित कोई भी जानकारी हो तो हमारे साथ शेयर कर सकते हैं , जानकारी शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Contribute Knowledge / Information Here 

——-

यह भी पढ़ें >> जब 24 जनवरी 2018 को जौहर करने पहुंची क्षत्राणीयां 

हमसे जुड़ने के लिए हमारे Facebook और Instagram पेज से जुड़ सकते हैं

Facebook 

Instagram

FAQ’s

प्रश्न- राजपूतो ने एक से अधिक विवाह क्यों किये?

उत्तर- परिस्थिति और समय की मांग पर

प्रश्न – मनुस्मृति में विवाह के कुल कितने प्रकार बताएं गये हैं ?

उत्तर- 8 (आठ) प्रकार के

प्रश्न – क्या क्षत्रिय राजा भोग विलासी थे ?

उत्तर- असत्य , क्षत्रिय सदैव अपने धर्म और संस्कृति के लिए युद्धों में रत रहा करते थे

Share To

Facebook
Twitter
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Choose Category

Also Read This

राजपूत समाज की राजनैतिक सशक्तिकरण में प्रगति: कैसे बढ़ें राजनीति में और समाज का भला करें

प्रस्तावना राजपूत समाज ने सदियों से देश की सेवा की है, चाहे वह युद्ध के मैदान में हो या समाज की रक्षा में। पर आज

Read More

नई पीढ़ी के राजपूत युवा: उद्यमिता और रोजगार में प्रगति का सही मार्ग

प्रस्तावना समय के साथ बदलाव अनिवार्य है, और आज के राजपूत युवाओं के लिए यह बदलाव उद्यमिता (entrepreneurship) और रोजगार (employment) के नए अवसरों में

Read More

राजपूत समाज में शिक्षा का महत्व और प्रगति के नए आयाम Rajput Samaj Mein Shiksha Ka Mahatva Aur Pragati Ke Nai Aayam

प्रस्तावना राजपूत समाज ने सदियों से अपनी वीरता और शौर्य के लिए ख्याति (fame) पाई है, लेकिन आज के दौर में शिक्षा (education) एक महत्वपूर्ण

Read More

Content Protected By DMCA

More Post By- क्षत्रिय संस्थान

ये भी पढ़ें

Category चुनें
Interested In

Royal Shopping

Shopping For Rajputi Items

Matrimony

Kshatriya Vaivahiki & Matrimony

Study & Career

Career Guidance & Study

Explore

Blogs

Read Our Blogs