जिस प्रकार आज आधुनिकता छाने लगी है उसी प्रकार हम आधुनिकता में हमारी संस्कृति को पीछे छोड़ रहे हैं पर वही इस क्षत्राणी ने विदेश में अपने राजपूती परिवेश से साबित करदिया की चाहे कितनी ही आधुनिकता क्यूँ न आये क्षत्राणी अपनी संस्कृति को कभी नही भूल सकती |
जी हाँ हम बात कररहे है क्षत्राणी मंजीत तोमर(मंजीत किर्तिराज सिह मिटावल) की जिनको परिचय की आवश्यकता नही है , जिन्हें सारा समाज मंजीत जीजा के नाम से संबोधित करता हैं| स्वभाव से विनम्र और अपने दबंग अंदाज से मंजीत जीजा ने श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना में मध्यप्रदेश में महिला अध्यक्ष का पद सम्भाला इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पद मिला,राजपूताना रुतबा और अंदाज उनके अंदर कूट कूट कर भरा है | पद्मावत आन्दोलन के समय भी मंजीत जीजा ने फिल्म विरोध को लेकर सभी क्षत्राणीयों और सर्वसमाज की महिलाओ को एकत्रित किया था|
अभी कुछ समय पहले मंजीत जीजा अपने परिवार सहित दुबई यात्रा पर पधारे थे जहाँ उनके राजपूती परिवेश से वहाँ पर राजपूती संस्कृति की अलग छाप पड़ती दिखाई दी| एक तरफ आज हम जेसा देश वेसा वेश की बात करते हैं वही मंजीत जीजा ने विदेशी धरा पर भी अपनी संस्कृति न छोड़ते हुए अपनी संस्कृति और वेशभूषा नही बदली इससे उनके संस्कृति के लिए वचनबद्धता को प्रदर्शित करता हैं| मंजीत जीजा न सिर्फ सामाजिक अपितु राजनिति में भी अपना दबदबा रखती हैं|
आज समाज में जहाँ एक तरफ यह बात फेलाई जाती है की बंधन और कुरीतियाँ हैं वही मंजीत जीजा जैसे क्षत्राणी इस बात को साबित करते हैं की यह कुरीति नही हमारा स्वाभिमान और सम्मान है और मेरी संस्कृति मेरा सम्मान की भावना की बात को मंजीत जीजा फलीभूत करते हैं|क्षत्राणी मंजीत जीजा आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श है , पूर्व में हमने राजपूत महारानियो को नही देखा सिर्फ सुना है पर आज मंजीत जीजा ने उन्ही की तरह एक आदर्श प्रस्तुत किया हैं जो हमे प्रेरणा देते हैं|
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