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राजपूतो की वो गलती जिसके कारण उनको शीर्ष सत्ता नही मिलती है – पढ़े विश्लेषण

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November 28, 2022

जय माता जी की सा , एक बार फिर स्वागत है आपका क्षत्रिय संस्थान में । क्षत्रिय संस्थान , राजपूतो का पोर्टल हैं जहाँ क्षत्रिय इतिहास,संस्कृति,ठिकाना जानकारी,वंशावली आदि को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा हैं ।

आज हम बात करेंगे राजपूतो की उस गलती की जिसके कारण राजपूत शीर्ष सत्ता से हमेशा दूर रहने लगा हैं ।

राजपूतो का आपसी मनमुटाव ही उनको शीर्ष सत्ता तक नही जाने देता है

जी हाँ राजपूतो का क्षत्रियो का आपसी मनमुटाव उनके सत्ता तक पहुँचने में सदैव उनका बाधक रहा हैं । क्षत्रिय अपनी आपसी मनमुटाव में ही इतना व्यस्त हैं कि हजार साल से वो अब तक इस बात को समझ नही पाया हैं की उसकी इस गलती का फायदा दुसरे उठाते आये हैं और आज तक उठा रहे हैं ।

क्षत्रियो में एक दुसरे से तुलना और फिर एकदूसरे के प्रति आदर की बजाय द्वेष बढने का कारण यह है कि वे स्वयं के बजाय दुसरे क्षत्रिय को आगे नही देखेगे चाहे दूसरा कोई ओर आगे निकले पर क्षत्रिय न निकले ।

इसके भी मुख्य दो कारण हैं

पहला कारण यह हैं कि कोई क्षत्रिय दुसरे क्षत्रिय के लिए त्याग करे तो भी उसके त्याग को आंका नही जाता और उसकी अनदेखी होती है और यह अनदेखी एक सबक बनकर दुसरो को बताती हैं कि अपनों का भला मत करो

दूसरा कारण हैं क्षत्रिय अपने अहम को कभी रोक नही पता और इसी तरह दोनों क्षत्रियो का अहम ऊँ दोनों का फायदा तीसरे को दे देता हैं

कहने को यह सब 100% सत्य नही होगा पर इससे कम भी नही हैं और अगर यह कमी हम सुधार ले तो हमारी शीर्ष शक्ति और सत्ता का प्रथम हिस्सा पाने में देर न लगेगी

परन्तु हम स्वयं के झगड़ो और आपसी द्वेष में बहुत मगन रहते है

पहले हम लड़ेंगे तथ्यों पर फिर लड़ेगे एक दुसरे की रिश्तेदारी पर फिर लड़ेंगे एक दूसरी की खांप या शाखा को गलत बोलकर , इस प्रकार हम एकदूसरे पर क्रोध को गलत रूप देकर जगत हंसी करवाने में देर नही करते ।

मेरी बात अत्यंत कडवी है पर यह सच्चाई हर क्षत्रिय को ज्ञात हैं । क्षणिक क्रोध को रोक न पाने की सजा आने वाली पीढ़िया भुगतती हैं । कब तक हम एकदूसरे के प्रति द्वेष रखेंगे । क्या फर्क पड़ता हैं आप भी मेरे भाई हो यह प्रेम दिखाकर एकदूसरे को प्राथमिकता कब देंगे हम?

क्या हमे कभी आपसी मनमुटाव से फुर्सत मिल पाएगी ?

चुनाव में स्थिति यह रहती है कि क्षत्रिय लड़ता हैं और उसे क्षत्रिय ही नही जीतने देता । पर यहाँ पर गलती उस नेता की भी हैं जो जीतकर क्षत्रियों को अनदेखा करते हैं । उनकी इस गलती से दुसरे क्षत्रिय अपने क्षत्रियो को आगे बढ़ाने से कतराने लगे हैं ।

आखिर कब यह सब परिपाटी खत्म होगी । राजनीतिक दल आपकी इस गलती का भरपूर फायदा लेते हैं और आप को दोनों तरफ से लड़वाकर मस्त राज करते हैं । गजब बात हैं क्षत्रिय बाहुल्य होने के बाद भी क्षत्रिय हार जाए इससे बड़ा क्या अपयश होगा ।

यश सिर्फ गौरव गाथा सुनाने से या खुद को इनका उनका वंशज बताने से नही होगा , हमे भी त्याग और समरसता सीखनी पड़ेगी वरना आपका अंत निश्चित हैं । अपने आपको संघर्ष और क्षत्रिय नियमो पर तोलकर देखो की क्या हम क्षत्रिय कहलाने योग्य हैं ?

सवाल उनसे हैं जो गलती कर रहे हैं । क्रोध पीना एक वीर का गुण हैं क्युकी उसे पीना इतना आसन होता तो आज हर कोई शिव बन जाता । जिस प्रकार भगवान शिव ने विष पीकर सृष्टि की रक्षा कि वेसे आप लोग क्रोध रुपी विष पीकर अपने समाज की रक्षा करो।

कोई क्या कहता है कितनी बुराई करता हैं उस पर ध्यान मत दो , वो आपको बहकाने का प्रयास करेगा ही पर आप बहको मत ।

परिवार में सबके झगड़े होते है पर इसका अर्थ यह तो नही कि दुसरे इसका लाभ उठाये । भाई भाई में झगड़ा होता है मतलब यह तो नही हम एकदूसरे के जीवन के शत्रु बन जाए ?? यह सब प्रेम भाव के झगड़े है अब उन्हें शत्रुता में बदलना या क्रोध पीकर आगे का सोचकर समाज बचाना, ये दोनों आपके हाथ में हैं । आप ही निर्माता भी हो और आप ही विध्वंसक भी ।

भविष्य को देखने की कोशिश करो और समझो की हमारा यह निर्णय भविष्य में क्या परिणाम देगा ?

आज आपसे यही निवेदन है की अपने आपसी मनमुटाव को मिटाने का प्रयास करें और हमेशा खुश रहकर सही राह पर चले और अपने साथियों को भी यही शिक्षा दें । एकदूसरे का हाथ पकडकर आगे ले जाए ।

अगर आपको टांग खीचनी है तो उसे नींद से उठाने के लिए खिचो ताकि वो आपकी बात से उठकर आगे बढ़े न की उसकी अवनति करो ।

इच्छा आपकी निर्णय आपका और इतिहास बनाने का कार्य भी आपका , अब आप चाहे तो अच्छे निर्माता बने या विध्वंसक ये मर्जी आपकी ।

अपने आने वाली पीढ़ियों को गौरव देना है या गलत शिक्षा और अपयश ये भी आपका निर्णय

मेरी बाते बुरी लगी होतो क्षमा करें और अगर मेरी बात का कुछ अंश भी अच्छा लगा हो तो हर क्षत्रिय तक इस पोस्ट को शेयर करें ।

क्षत्रिय संस्थान में मेरी पोस्ट लिखने की जगह दी उसके लिए क्षत्रिय संस्थान का बहुत बहुत आभार । आप भी क्षत्रिय उत्थान के लिए लिखे क्षत्रिय संस्थान में

जय माँ भवानी जय क्षात्र धर्म

लेखक – J.S.Rathoud

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