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चंद्रावतो के कुल भेरुं जी “गोरा जी” का स्थान और पहुँच मार्ग के साथ जानकारी

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February 11, 2024

जैसा कि आप जानते हैं मेवाड़ के सूर्यवंशी सिसोदिया क्षत्रिय राजवंश की एक शाखा चंद्रावत है जिनका मुख्य दुर्ग रामपुरा है जो कि वर्तमान में मध्यप्रदेश के नीमच जिले में हैं । आज का मुख्य बिंदु चंद्रावत राजपूतो के भैरूं जी गोरा जी पर है

चंद्रावत राजपूत से सम्बन्धित मैंने कुछ जानकारी पहले लिखी थी अब मैं आपको चंद्रावतो के भेरूजी के स्थान की जानकारी देना चाहता हूँ । चंद्रावतो के भेरूजी गोरा भेरूजी जो कि चंद्रावतो की पूर्व राजधानी आमद में हैं । जहाँ पहाड़ी पर इनका दुर्ग था जिसके अवशेष आज भी हैं वही दूसरी पहाड़ी की तलहटी में गोराजी विराजमान है ।

इस मन्दिर में जाने के प्राकृतिक सीढ़ियाँ (पत्थरों से तराशी) गयी थी परन्तु बारिश के समय फिसलन और ढलान से बचने के लिए पहाड़ी के उपर से दूसरी सीढ़ियाँ बनाई जा रही हैं ।

पत्थरों पर तराशी हुई सीढ़ियाँ गोरा जी मन्दिर के लिए जाते हुए

इस मंदिर के जीर्णोध्दार और सीढियों के निर्माण के लिए सभी चंद्रावत ठिकानो के क्षत्रिय ने मिलकर शुरुवात की और रामपुरा के दीवान राव श्री महेंद्र सिंह जी द्वारा नेतृत्व कर जीर्णोध्दार किया जा रहा है ।

बारिश और पहाड़ से गिरते पानी से फिसलन सीढियों पर

इस स्थान पर केवल चंद्रावत ही नही बल्कि सभी वर्गों के लोग आते है और दर्शन लाभ लेते है । यह मंदिर पहाड़ की तलहटी में स्थित है ।

गर्मी के समय मन्दिर की ओर उतरते हुए का चित्र
गोराजी का स्थान और सीढ़ियों को कृत्रिम रूप से उपर पहाड़ से जोड़ा जा रहा हैं

चित्र में आप देख सकते हैं बिल्कुल पहाड़ के तलहटी में उतरते हुए मंदिर स्थित हैं यहाँ स्थित इस हाल में भोजन बनाने की सुविधा रखी गयी है और अंत में पहाड़ से बिल्कुल पहाड़ी में गोराजी विराजमान है

चंद्रावतो के भेरूजी गोराजी

आमद में विराजमान है चंद्रावतो के भेरूजी गोराजी ।

अब आपको पहुँच मार्ग की जानकारी से अवगत करवाते हैं । मध्यप्रदेश के नीमच से पूर्व की ओर करीब 45 किलोमीटर पर कुकड़ेश्वर नामक नगर है यहाँ आप पहुंचकर किसी से भी आमद गाँव का मार्ग पूछ सकते हैं जो कि कुकड़ेश्वर नगर के पीछे पहाड़ी पर स्थित है । यदि आपको आमद की जानकारी न मिले तो सहस्त्रमुखेश्वर महादेव मंदिर का मार्ग पूछे और मन्दिर के वहां से आमद का मार्ग पूछे ।

करीब 8 किलोमीटर के बाद पहाड़ी पर पहला गाँव आमद होगा वहां किसी से भी गोराजी का मार्ग पूछे । उसके बाद आप आपको पैदल जाना पड़ेगा और दो पहाड़ दिखाई देगे उनके मध्य से गोरा जी का मार्ग है । जिस जगह गोराजी बिराजमान है उन्ही के सामने वाली पहाड़ी पर आमद का दुर्ग हुआ करता था जो कभी चंद्रावतो की राजधानी हुआ करता था । अब वहां कुछ अवशेष ही बचे हैं ।

कृत्रिम सीढियों का निर्माण और पहाड़ी तक पहुँच मंदिर निर्माण कार्य
मंदिर में स्थित शिवजी का मंदिर

इस जानकारी का मुख्य उद्देश्य आपको आपके स्थान से अवगत करवाना था । मुझे फेसबुक के माध्यम से काफी कमेंट मिले जहाँ अपने कुलभेरू जी की जानकारी सम्बन्धित प्रश्न पूछे गये इसलिए मैंने इस जानकारी को पोस्ट रूप में क्षत्रिय संस्थान पर पोस्ट किया और विडियो के माध्यम से अपने चैनल पर प्रस्तुत किया हैं जो इसी पोस्ट में अंत में आपको उपलब्ध हो जाएगा ।

पीछे दिखाई दे रही पहाड़ी पर था आमद दुर्ग चंद्रावतो की पूर्व राजधानी
आमद के निवासी भाणा जी से चर्चा करते हुए , यहीं से गोराजी का मार्ग है और दायीं तरफ की पहाड़ी आमद का पुराना दुर्ग था

और अधिक जानकारी के लिए कमेंट जरुर करें और मुझे मेरे फेसबुक पेज पर फॉलो करें और यूट्यूब अकाउंट को सब्सक्राइब करें । क्षत्रिय संस्थान के मंच पर मैं लिखित जानकारी प्रस्तुत करता हूँ मेरे ब्लॉग से जुड़े रहें ।

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